शरीक ए जुर्म न होते तो मुख़बिरी करते,
हमें ख़बर है लुटेरों के हर ठिकाने की.
अज़हर दुर्रानी
अज़हर दुर्रानी के बारे में बहुत कुछ नहीं पता है, यह मालूम है कि वह एक पाकिस्तानी शायर थे और लाहौर में रहते थे, कद लंबा और दुबले पतले थे, उसके चेहरे पर सुर्ख़ दाढ़ी थी. उन्हें शोहरत में कोई दिलचस्पी नहीं थी, न ही वह ख़ुद को बढ़ावा देना पसंद करते थे. अज़हर दुर्रानी एक बैंक में काम करते थे. अज़हर दुर्रानी दिल के मरीज़ थे, उनका पहला कलाम, "शरीक ए जुर्म," प्रकाशित हुआ था, बाद में उन्होंने "कशकोल" और "कच्ची धूप" सहित तीन या चार और शायरी संग्रह प्रकाशित किए. 1992 में उनका निधन हो गया. वह प्रसिद्ध सहाफ़़ी और शायर मौलाना मुर्तज़ा अहमद मयकश के पोते थे.
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मशहूर गजल:
☆ मेरा नसीब हुएं तल्खियां... (Read Ghazal)
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