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Showing posts from November, 2017

Ameer Meenai: the Urdu Poet (in Urdu)

                                 –                          अमीर मीनाई जीवन :      अमीर मीनाई की गिनती मुगल युग के बाद के सबसे अहम उर्दू शायरों और साहित्यकारों में की जाती है. आप का जन्म 1828 ई० में शाह नसीरुद्दीन शाह ह़ैदर नवाब के ज़माने में लखनऊ में हुआ था. आप का पूरा नाम अमीर अह़मद था और मख़दूम शाह मीना के ख़ानदान से होने की वजह से आपको मीनाई कहा जाने लगा. आप के पिता मौलवी करम मुह़म्मद थे. आपने मुफ़्ती सादुल्लाह और उनके समकालीन फ़िरंगी मह़ल के उल्माओं से तालीम ह़ासिल की. ख़ानदान साबरिया चिश्तिया के सज्जादा नशीन ह़ज़रत अमीर शाह के आप मुरीद थे. शायरी में मुज़फ़्फ़र अली 'असीर' लखनवी आप के उस्ताद थे.1852 ई० को नावाब वाजिद अली शाह ने आपको अपने दरबार में बुला लिया. रियाज़ ख़ैराबादी, जलील मानकपुरी, मुज़तर  ख़ैराबादी  और हफ़ीज़ जौनपुरी आप के मशहूर शागिर्द रहे हैं. 1857 ई० के बाद रामपुर के नवाब युसुफ़ अली ख़ान की दावत पर आप रामपुर आ गए जहां नवाब के बेटे कल्ब अली ख़ान ने आपको अपना उस्ताद बना लिया. रामपुर के नवाब कल्ब अली ख़ान की मृत्यु के बाद आपको रामपुर छोड़ना पड़ा. 1900 ई० म

Ahmad 'Nadeem' Qasmi :Urdu Poet (in Hindi)

              _         ज़िंदगी शमा की मानिंद जलाता हूं  'नदीम'            जल तो जाऊंगा मगर सुबह  कर  जाऊंगा                                     अहमद 'नदीम' क़ासमी   -अहमद ' नदीम'           जीवन: आपका जन्म  ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान) के सरगोधा ज़िले के एक छोटे से गांव अंगाह में 20 नवम्बर 1916 को हुआ था. आपका असल नाम अहमद शाह था और आपके वालिद पीर गुलाम नबी एक धार्मिक आस्थावान और ईश्वर से डरने वाले व्यक्ति थे. 1923 में पिता की मौत के बाद आप अपने चचा हैदर शाह के साथ कैमबेल पुर आकर रहने लगे, यहां पर आपको धार्मिक, शिक्षित और शायराना माहौल मिला जिसने आगे चल कर आपको एक महान शायर में ढाल दिया. अख्तर शेरानी जैसे शराब परस्त के साथ रहने के बाद भी अपने कभी शराब को हाथ नहीं लगाया. इससे आपकी मानसिक शक्ति का पता चलता है. जब आप अपना गांव छोड़कर लाहौर आए तो आपको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था लेकिन आपने कभी हार नहीं मानी. 1931 में शेखूपुरा के सरकारी स्कूल से हाई स्कूल की परीक्षा पास की और फिर सादिक इगर्टन कॉलेज, बहावलपुर में प्रवेश किया जहां से 1935 में ग्रेजुएट

Meer Taqi 'Meer' the Urdu poet (in Hindi)

         –                                                    मीर तक़ी 'मीर'                   इब्तिदाए  इश्क़ है रोता है क्या,           आगे आगे देखिए होता है क्या.                            -  मीर तक़ी 'मीर'     जीवन :      'मीर' जैसा उर्दू शायर शायद ही कोई हुआ हो उनकी तुलना अगर किसी से की जा सकती है तो वह हैं 'ग़ालिब'. कुछ लोग 'मीर' को श्रेष्ठ मानते है तो कुछ 'ग़ालिब' को लेकिन अपनी शायरी में कहीं कहीं 'ग़ालिब' ने ख़ुद 'मीर' को अपने से अच्छा माना है. 'मीर' का जन्म आगरा में मुग़ल साम्राज्य के दौरान 1723ई0 में हुआ था. उनके दर्शन ने प्यार और करुणा के महत्व पर बल दिया यह प्रभाव आपके पिता से आया था जो कि एक धार्मिक व्यक्ति थे जो फक़ीराना जीवन गुज़ारना पसंद करते थे. आपके पिता का नाम मुह़म्मद अली था, लेकिन सूफ़ियाना मिजाज़ के कारण सब उन्हें अली मुत्तक़ी के नाम से भी जानते थे. आप के वालिद साहब ने दो शादियां की थी और आप उनकी दूसरी बीवी से थे. आप के दादा फ़ौज में थे आपके जीवन पर उनका गहरा असर रहा था. जब